हमारे गांव में हमारा क्या है! की समीक्षा, देवचंद्र भारती प्रखर
#आत्मगाथा : हमारे गाँव में हमारा क्या है ? | https://dhammasahitya.blogspot.com/2020/07/blog-post_30.html
अमित धर्म सिंह Amit Dharmsingh ने अपने इस काव्य-संग्रह में अपनी बाल्यावस्था में घटित घटनाओं की कहानी का वाचन काव्य के रूप में किया है । कविताएँ पढ़ते समय ऐसा अनुभव होता है, जैसे कवि सामने बैठकर अपनी कहानी सुना रहा हो । डॉ० जयप्रकाश कर्दम ने भी इसे ' काव्यमय आत्मकथा ' का नाम दिया है । इस काव्यमय आत्मकथा में कवि ने अपनी दरिद्रता और अपना संघर्ष यथार्थ रूप में अभिव्यक्त किया है । अमित धर्म सिंह की भाषा-शैली ग्रामीण परिवेश और बाल जीवन के अनुकूल है । उन्होंने मुजफ्फरनगर की क्षेत्रीय बोली का प्रयोग किया है । मुहावरों और लोकोक्तियों के भावानुकूल प्रयोग के साथ भाषा में भी प्रवाह है । उनकी शैली सरसता, रोचकता और नाटकीयता से परिपूर्ण कथा शैली है । बाल्यावस्था में अंबेडकरवादी विचारधारा से उनका जुड़ाव नहीं था, इसलिए उनकी कविताओं में विषमतावादी सामाजिक व्यवस्था के प्रति कहीं भी नकार, आक्रोश अथवा प्रतिरोध के स्वर मुखरित नहीं हुये हैं ।
✍️ *देवचंद्र भारती 'प्रखर'*
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