प्रवासी साहित्य
प्रवासी साहित्य और हिन्दी का अन्तर्राष्ट्रीयकरण ©अमित धर्मसिंह आज़ादी के बाद से हिन्दी का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हो रहा है। ख़ासतौर से फ़िल्मों, सोशियल मीडिया और साहित्य के माध्यम से। हिन्दी में छपने वाले समाचार-पत्र और पत्रिकाएँ भी इसके प्रचार-प्रसार में अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। ”सूचना तथा ज्ञान के इस युग में भारत की यह ऐसी उपलब्धि है, जिससे हिन्दी के साथ सभी भारतीय भाषाओं का प्रचार-प्रसार बढ़ेगा। हिन्दी के बढ़ते चरण संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वार पर बराबर दस्तक दे रहे हैं। अपने देश में संपर्क भाषा के रूप में उभरकर आने वाली हिन्दी भाषा विश्व के मानचित्र पर अपना दृढ़ स्थान बनाती जा रही है। संयुक्त राष्ट्र संघ की यूनिवर्सल नेटवर्किंग लैंग्वेज (UNL) के लिए शब्द कोश, एन.कन्वर्टर और जी.कन्वर्टर के विकास करने हेतु जिस संस्थान की स्थापना हुई है, उसकी मुख्य एजेंसी मुंबई का भारतीय प्रोद्यौगिक संस्थान ही है। यह संयुक्त राष्ट्र विश्वविद्यालय का ऐस...
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