विटामिन ज़िन्दगी पर साहित्य अनुशीलन मंच की परिचर्चा गोष्ठी, दिनांक 27/12/2019



विटामिन ज़िन्दगी पर साहित्य अनुशीलन मंच की परिचर्चा गोष्ठी

मुजफ्फरनगर। साहित्य अनुशीलन मंच (SAM) की परिचर्चा गोष्ठी आर्य समाज रोड स्थित डीएवी कॉलेज में संपन्न हुई। परिचर्चा रोल मॉडल ललित कुमार की बहुचर्चित पुस्तक ' विटामिन ज़िन्दगी ' पर आधारित रही।यह पुस्तक विकलांग विमर्श का साहित्यिक पदार्पण सरीखी है। यद्यपि यह पुस्तक ललित कुमार के आत्मसंघर्ष को सामने लाती है किन्तु इसके माध्यम से विकलांग जनों की सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक और मानसिक त्रासदी सशक्त रूप में उभरकर सामने आती है। संभवतःसाहित्य में यह पहली ऐसी पुस्तक है जो शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के सामाजिक अधिकारों और आत्मसम्मान की पैरवी करती दिखाई देती है।
परिचर्चा के आरंभ में
        अश्वनी खंडेलवाल ने कहा कि "विटामिन ज़िन्दगी सरल भाषा में असीमित जिजीविषा की उत्कृष्ट प्रस्तुति है। अभिधा में लिखी गई यह पुस्तक एक पठनीय पुस्तक है। समाज में इस पुस्तक का पढ़ा जाना अनिवार्य है। खासतौर से उन तथाकथित अध्यापकों को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए जो विकलांग छात्रों को अक्षम अथवा दूसरों से कमजोर समझते हैं। पुस्तक में कई ऐसी मार्मिक घटनाएं मौजूद हैं जिनको पढ़ते हुए रीढ़ में झनझनाहट पैदा हो जाती है। ललित कुमार का सफर असाधारण है क्योंकि ज्ञानमार्ग पर चलकर अपने को साबित करने के लिए ललित कुमार द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ तक की नौकरी को छोड़ देना कोई साधारण घटना नहीं है।"
           परमेंद्र सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि "ललित कुमार की पुस्तक विटामिन ज़िन्दगी का एक सूत्रवाक्य है - 'प्रकृति विकलांग बनाती है, समाज अक्षम बनाता है'! विकलांगजनों के प्रति समाज की असंवेदनशीलता पर चोट करती और अक्षमता पर अपनी दुर्धर्ष जिजीविषा से विजय प्राप्त करने की महान गाथा है यह पुस्तक। समाज की संवेदना को जाग्रत करने वाली साहित्येतर पुस्तकों का हिंदी में प्रायः अभाव रहा है। इस कमी को पूरा करने का स्तुत्य प्रयास किया है ललित कुमार की आत्मकथा ने।"
        कमल त्यागी ने विटामिन ज़िन्दगी पर बोलते हुए कहा - "लेखक का शारीरिक कष्ट उसकी लाचारी से मिलकर मानसिक कष्ट  और तथाकथित सभ्य समाज की संवेदनशून्यता से आत्मिक संताप में रूपांतरित हो जाता है किन्तु लेखक केवल अपनी जिजीविषा के कैलिपर्स के बलबूते ज़िन्दगी से विटामिन निचोड़ ही लेता है।"
         अमित धर्मसिंह ने अपने उद्गार इस प्रकार व्यक्ति किए - "विटामिन ज़िन्दगी हमें उस वर्ग की ओर आकर्षित करती है जो समाज का अभिन्न हिस्सा होते हुए भी अलग - थलग माना जाता है। समाज में उस वर्ग को जानते सब है लेकिन पहचानते बहुत कम हैं। यही कारण है कि समाज कि सोच उस वर्ग विशेष के बारे में विक्षिप्त ही रह गई है। समाज में विकलांग समाज की सुविधाओं और सम्मान का ध्यान न रखा जाना इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज में विकलांग विमर्श की पुरजोर आवश्यकता है। इस संदर्भ में विटामिन ज़िन्दगी पहला मील का पत्थर पुस्तक है। कह सकते हैं कि दलित विमर्श में को स्थान जूठन का है, विकलांग विमर्श में वही स्थान विटामिन ज़िन्दगी का है।"
      प्रो.  आर. एम. तिवारी ने विटामिन ज़िन्दगी के बारे में अपने विचार इस प्रकार व्यक्त किए -"विटामिन ज़िन्दगी"  लेखक ललित कुमार को राष्ट्रीय रोल मॉडल के तौर पर स्थापित तो करती ही है साथ ही भारतीय समाज के सभ्य होने के दावे की भी पोल खोलती चलती है । हमने विकलांग की स्थान पर दिव्यांग कहकर संवेदनशीलता का एक नया ढोंग शुरू कर दिया हो पर सही मायने में अपने को मनुष्य नहीं बना पाये हैं । प्रस्तुत पुस्तक पोलियो से संघर्ष की जीवटभारी गाथा भारतीय समाज के भेदभावों एक और जघन्य आख्यान पेश करती है।"
         रोहित कौशिक ने विटामिन ज़िन्दगी के बारे में कहा कि "'विटामिन जिंदगी' पुस्तक हमें लगातार संघर्ष करने की प्रेरणा देती है । पुस्तक के लेखक ललित कुमार ने न केवल विकलांगता को चुनौती दी बल्कि जिंदगी की तमाम विषमताओं से जूझते हुए दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बने । यह पुस्तक समाज को आशा की किरण दिखाकर हमारे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार करती है।"
      नेमपाल प्रजापति ने अपनी टिप्पणी में कहा कि "सर्वप्रथम वह सज्जन धन्यवाद के पात्र हैं जिसने पुस्तक विटामिन जिन्दगी को साहित्य अनुशीलन मंच में चर्चा हेतु प्रस्तावित किया है। पुस्तक के लेखक ललित कुमार जी ने जिस भोगे हुए यथार्थ को कौशल के साथ सार्वजनिक किया है वह पाठक और भावी पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी है। विपरीत परिस्थितियों में अदम्य साहस और संघर्ष की गाथा है ललित कुमार जी की यह आत्मकथा विटामिन जिन्दगी। ऐसा साहित्य निश्चय ही प्रकाश में आना चाहिये। लेखक को साधुवाद और ढ़ेरों बधाइयाँ।
गोष्ठी में अभिनव त्यागी, राहुल सिंह , सरदार सरजीत सिंह आदि की गरिमामय उपस्थिति रही।







सभी फोटो : 29/12/2019

सभी विज्ञप्ति :31/12/2019


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