श्रीलाल बौद्ध जी द्वारा लिखी गई हमारे गांव में हमारा क्या है की समीक्षा
श्रीलाल बौद्ध, रोहिणी दिल्ली हमारे गांव में हमारा क्या है! प्रतिनिधि दस्तावेज हमारे गांव में हमारा क्या है! किताब बहुत सरल अंदाज़ में अनुभव आधारित गहरी बात कह रही है। यह पुस्तक एक बड़े विषय का बहुआयामी दृष्टिकोण स्थापित कर रही है। कोई भी बोध, साहित्य बोध में तब परिवर्तित होता है, जब विचारों का क्षेत्र व्यक्तिगत कल्पनाओं से होकर सार्वजनिक अनुभव से अपना संबंध जोड़ता है। व्यक्तिगत अनुभव और कल्पनाओं का मिश्रण साहित्यिक यात्रा करता है। काव्यात्मक जीवनी एक समय की अनेक परिस्थिति में लेखक तत्कालीन व्यवस्था का खाका खींचकर एक समकालीन इतिहास के एक छोटे टुकड़े का सृजन करने में कामयाब हुआ है। वह समकालीन तथ्यों को पेश करके इतिहासकार की भी भूमिका निभाता है। जब कभी सृजक की इस कृति का सामाजिक, ऐतिहासिक दृष्टि से अवलोकन किया जायेगा तो यह एक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत की जाएगी। इस प्रकार सृजक एक विशेष काल खंड का सामाजिक अवलोकन के साथ ऐतिहासिक दस्तावेज भी प्रस्तुत करता है। लेखक ने अपने जीवन, परिवेश, महत्त्वपूर्ण घटनाओं, विचारधारा, निजी अनुभव, अपनी क्षमताओं और दुर्बलताओं तथा अपने समय की सामाजिक-राज...