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Showing posts from July, 2023

जसवंत सिंह जनमेजय जी की पुस्तक पत्रकारिता में प्रतिक्रिया की संक्षिप्त समीक्षा

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 विहंगावलोकन जिम्मेदार नागरिक के विचारों को सहेजने वाला दस्तावेज- 'पत्रकारिता में प्रतिक्रिया' : डॉ. अमित धर्मसिंह           'पत्रकारिता में प्रतिक्रिया' संवेदनशील पाठक और जिम्मेदार नागरिक के विचारों को सहेजने वाला दस्तावेज है। साहित्य में, समीक्षा पर समीक्षा और प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया की परंपरा, न के बराबर रही है। मगर कुछ विषय ऐसे होते हैं या उन्हें इस ढंग से प्रस्तुत किया जाता है कि उन पर विचार करने अथवा संवाद करने को बाध्य होना पड़ता है। स्वराज प्रकाशन से, डॉ. जसवंत सिंह जन्मेजय की सद्य प्रकाशित पुस्तक 'पत्रकारिता में प्रतिक्रिया' एक ऐसी ही पुस्तक है जो प्रतिक्रियाओं का संकलन, लेकिन उन्हें इस ढंग से लिखा और प्रस्तुत किया गया है कि उन्हें पढ़ने पर पाठक पर सार्थक प्रभाव पड़ता है। वह अपनी राय देने पर भी विवश होता है। साथ ही, पाठक अपनी, 'सामाजिक प्राणी', जिम्मेदार नागरिक, संवेदनशील लेखक या पाठक आदि होने की भूमिका तलाशने लगता है। जसवंत सिंह जनमेजय में उक्त सभी खूबियां दिखाई पड़ती हैं। वे तत्कालीन राजनीतिक, सामाजिक और साहित्यिक मुद्दों से पूरी संवेदनशीलत...

रत्नकुमार सांभरिया के उपन्यास 'सांप' की समग्र पड़ताल

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सांप उपन्यास की समग्र पड़ताल -डा. अमित धर्मसिंह एक दुनिया में दो दुनियाओं का साक्षात् कराता उपन्यास, सांप                                                     हाल ही में सेतु प्रकाशन, नोएडा से प्रकाशित 'सांप' उपन्यास अपने आप में एक अनुपम कृति है। कहानी, लघुकथा, एकांकी, नाटक, समीक्षा आलोचना के दर्जनों संग्रह लिख चुके जनकथाकार रत्नकुमार सांभरिया का प्रथम उपन्यास 'सांप' प्रकाशित हुआ। यह उपन्यास घुमंतुओं के जीवन पर आधारित है। उपन्यास में कुल पैंतीस परिच्छेद हैं, जिनमें से अधिकांश परिच्छेद हंस, कथादेश, वागर्थ, पाखी जैसी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। हिंदी साहित्य में घुमंतुओं के जीवन पर यह पहला उपन्यास है, जो उनके जीवन का वास्तविक परिचय प्रस्तुत करता है। उनकी सामाजिक और आर्थिक त्रासदी को सामने लाता है। उनके संघर्ष और विजय का बाइस बनता है। उपन्यास में लखीनाथ सपेरा, भलीराम मदारी, मनीराम, तीनों की पत्नियां क्रमशः रमतीबाई, सरकीबाई और रोशनीबाई। सेठ...