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तेजपाल सिंह तेज की आत्मकथा फ्लैश बैक बियोंड पैराडाइम की समीक्षा

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 अतिवाद, आग्रह और ग्रंथिरहित आत्मवृत्त है 'फ्लैश बैक :  बियोंड पैराडाइम'    - डा. अमित धर्मसिंह        तेजपाल सिंह तेज का नाम हिंदी दलित साहित्य में किसी परिचय का मोहताज नहीं; ऐसा, उनके अपने लेखन से संभव हो पाया है। वे हिंदी दलित साहित्य की प्रथम पीढ़ी के सशक्त हस्ताक्षर हैं। हिंदी पट्टी से जुड़े दलित साहित्यकारों के नाम सूचीबद्ध किये जाए तो तेजपाल सिंह तेज का नाम अग्रणी पंक्ति में शामिल किया जाएगा। ग़ज़ल, कविता तथा विचार विमर्श की, वे दो दर्जन से भी अधिक पुस्तकें लिख चुके हैं। उन्होंने विपुल साहित्य सृजन किया है। उन्होंने हिंदी साहित्य की अधिकतर विधाओं जैसे कविता, ग़ज़ल, आलोचना, शब्दचित्र, निबंध, गीत, बालगीत, नवगीत आदि में लेखन किया है। हिंदी ग़ज़ल और कविता में उनका विशेष दखल है। मौलिक सृजन के अलावा उन्होंने संपादन कार्य भी कुशलतापूर्वक किया। दलित साहित्य की प्रतिष्ठित पत्रिका अपेक्षा में उपसंपादक रहने के साथ उन्होंने साप्ताहिक पत्र 'ग्रीन सत्ता', 'आजीवक विजन' और 'अधिकार दर्पण' त्रैमासिक जैसे पत्र पत्रिकाओं का संपदान किया। हाल ही में 'फ्लैश बैक :...