हंस में प्रकाशित पत्र और पांच दिसंबर का कार्यक्रम
https://www.news24x365.com/anusuchit-jation-ke-manvadhikar-pr-webinar-5-ko/ https://fb.watch/9Iv-F7yEKW/ 'कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना' हंस के नवंबर अंक में न हन्यते के अंतर्गत साहित्यकार मुकेश मानस पर अजय नावरिया का लिखा लेख पढ़कर अत्यंत निराशा हुई। लेख में कई विरोधाभास और विसंगतियां हैं जो मुकेश मानस के मित्रों को असहनीय प्रतीत हुईं। पहली विसंगति तो यही है कि लेख में अजय नावरिया ने मुकेश मानस का दाह संस्कार 5 अक्टूबर को लिखा है जबकि उनका दाह संस्कार 4 अक्टूबर को हुआ था। मैं दाह संस्कार के दौरान निगम बोध घाट पर मौजूद था, वहां अजय नावरिया नजर तक नहीं आए। नावरिया अपने लेख में मुकेश मानस की दूसरी पत्नी से तलाक की बात लिखते हैं जो नैतिक रूप से तो गैर जरूरी है ही, उनको बदनाम करने की साजिश भी प्रतीत होती हैं क्योंकि मुकेश मानस के परिजनों ने दूसरी शादी वाली बात से इंकार किया है। नावरिया इस बात से नितांत अनभिज्ञ हैं कि मुकेश मानस की बड़ी बेटी असल में उनकी भांजी है। लेख में मुकेश मानस से अधिक मजबूत पक्ष तो खुद नावरिया का उभरकर सामने आता है। दिवंगत मुकेश मान...